शनिवार, 28 जनवरी 2017

कुत्तों की दुनिया

सभी कुत्ते पहले आपका ध्यान आकर्षित करते हैं और फिर एक विशेष अंदाज में दंडवत जैसा कुछ करते हैं. अब कुत्ते करते हैं तो पता नहीं उसको दंडवत कहना उचित है या नहीं, कह नहीं सकता. खैर, कुत्ते अपने आगे के दोनों पैर आगे को फैलाकर और भी आगे की ओर झुकते हैं तथा एक लम्बी जम्भाई लेते हुए अपनी लम्बी जीभ निकलकर मुंह के चारों ओर घुमाते हैं. इस प्रक्रिया के दौरान वे अपनी पूँछ को थोडा सख्त करके दायें और बाएं घुमाना नहीं भूलते हैं. मैंने ध्यान से देखा है कि पहले वे थोडा दायें और फिर तेजी से बाएं घुमाते हैं. संभव है यह आज के सन्दर्भ में उनके तेजी से बदलते विचाधारात्मक आग्रहों का प्रतीक हो. मैंने एक कुत्ता विशेषज्ञ से इस कर्मकांड का कारण पूछा कि कुत्तों के इस विशेष दंडवत का क्या मतलब है? तो उन्होंने बताया कि इसका अभिप्रायः यह है कि वे कुत्ते आपसे कुछ चाहते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि यदि आपने ठीक से ध्यान नहीं दिया तो कुत्ते ऐसी क्रिया एक से ज्यादा बार कर सकते हैं. मुझे कुछ विश्वास नहीं हुआ. लेकिन इस बात की मैंने आज और बिलकुल अभी जांच की. मैंने इस फार्मूले को अपनी प्रिय ब्राउनी पर आजमाया. जो नहीं जानते उनको बता दूं कि भ्रमित न हों. ब्राउनी कोई और नहीं एक कुतिया का नाम है जिसका एक पैर और एक आँख भी ख़राब है. हालाँकि संकट के समय या फिर जब उसे उचित लगे वह चारों पैरों का इस्तेमाल करते हुए बहुत तेजी से भागती है. खैर, मैं अभी घर की ओर जा रहा था कि अचानक बगल से ब्राउनी आ गयी और जम्भाई लेते हुए वही दंडवत वाली क्रिया करने लगी. मैंने तुरंत निगाह फेर ली और दूसरी ओर को चल दिया. आश्चर्य हुआ कि वह मेरा रास्ता काटकर ब्राउनी उधर भी आ गयी और फिर वही पोज़ बनाने का प्रयास करने लगी. मैंने फिर अनदेखा करने की कोशिश की तो वह इस बार गुस्से से थोडा गुर्रायी. फिर मेरी हिम्मत नहीं हुई कि उसको अनदेखा करूं. मुझे लगा कि यह आधुनिकता बोध का असर है और इसको मान लेना चाहिए.

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